धूप सुनहरी हुई
पत्ता हरा हुआ
दीवारें मटमैली
आकाश नीला हुआ
ख़ुशी भय और निराशा ने
कोई रंग दिखाए नहीं
ख़ून शायद ख़ून हुआ
शायद पानी हुआ
शायद बहा हवा की तरह
धीमे-धीमे
एक आदमी वहाँ
आदमी न हुआ
पुतला हुआ
आग हुआ
पानी हुआ
मिट्टी हुआ
जड़ हुआ
एक आदमी वहाँ
शाख हुआ
धूप सुनहरी हुई