Last modified on 17 जुलाई 2008, at 20:15

धूसर बुदबुद-सा / कुमार मुकुल

{KKGlobal}}

शाम की बस

चढ़ रही थी फ्लाईओवर पर

चारों ओर फैले

धूल व धुएँ के अम्बार के पार से

दिल्ली द्वीप को देखता

एक धूसर बुदबुद-सा

डूब रहा था सूर्य

मेरे भीतर।