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नई इबारत के बारे में / कात्यायनी

लगभग मृत्यु-सा
होता है
शान्त-भयावह
स्लेट का स्याह कालापन,
इबारत
जब मिटा दी गई होती है।
झाँकती होती हैं
मगर फिर भी पीछे से
मिटाए गए
अक्षरों-शब्दों की छायाएँ
स्मृतियों की तरह।
हमेशा ही फिर से
लिखी जाती है
इबारत
काले समय जैसे स्लेट की छाती पर
चमकती हुई
पहले से बेहतर
और सुन्दर-सुगढ़।
न हो यदि ऐसा,
अप्रासंगिक हो जाएगी स्लेट
जैसे कि
समय,
जीवन,
यह देश,
या कि यह पूरी दुनिया।

रचनाकाल : जनवरी, 1993