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नई दुनिया के लोग / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 
एरियर और केरियर में
सिमटे लोग
स्टेप्नी बने हुए हैं
उनकी जिंदगी वो खुद नहीं
कोई दूसरा ही ड्राइव कर रहा है
बंदा यू.पी. का हो
बिहार का हो
या किसी भी प्रांत में
मुंबई या महाराष्ट्र में मारा जाएगा
एलान-ए-मुआवजा होगा
चैनल्स में शोर मचेगा
नेता लोग चकाचक कुर्सी के साथ
सांत्वना प्रकट करेंगे
इससे अधिक कुछ नहीं
कुछ दिन तो कुछ चैनल्स
परिचर्चा रखेंगे
फिर
कुछ दिन बाद
नया टॉपिक
नया क्षेत्र
यानि निष्कर्ष शून्य
कपड़े पहन लो तो चर्चा
उतार दो तो चर्चा
खांसी आए तो चर्चा
न आए तो चर्चा
कैमरे अभिनेताओं के बंग्ले पर टिके रहते हैं
उन्हें नजर नहीं आता
गरीब जनता पर होते अत्याचार
कोसी बेसहारों को कब मिलेगा
मुआवजा
उन्हें नजर आती है देह
चाहे वह मिनीषा लांबा हो
या
मलाइका अरोड़ा खान
अब साबित हो चुका है
इस दुनिया में
वक्त उसी का साथ देता है
जो अपना साथ खुद देता है
वरना तो जीवन बेकार है
इसलिए बैठे-ठाले बैठने से
अच्छा है
काम करो
रिक्शा चलाओ
टैक्सी चलाओ
अखबार बांट आओ
ट्यूशनल कर लो
कुछ तो करो ओ निकम्मो
पिता जी मास्टर बन बैठे
लड़कियांे ने सुना
कुछ ने अनसुना किया
आइपॉड का इयरफोन लगाया
फ्रेंड के साथ पी.वी.आर. में -
फिल्म देखी
पिज्जा खाया
और लौट आई देर रात
माँ-बाप ताक रहे दरवाजा
दरवाजा खुला
बेटी आई
महकते कदमों के साथ
खामोश होते माँ-बाप
बच्चे नहीं सुनेंगे !
जब बच्चे बनते हैं
माँ-बाप
तो यही
चक्र दोहराता है यही सब!
समय बलवान है
अरे टिप्सी कहां है ?
क्लब से नहीं लौटी
कितने बजे हैं ?
रात के दो
कोई बात नहीं
तुम्हारा भी तो
टाईम था!