Last modified on 1 अप्रैल 2014, at 16:55

नए साल के लिए / भवानीप्रसाद मिश्र

कल हमारे चाँद सूरज और तारे
बदल जायेंगे लगेंगे अमित प्यारे
टूट जायेगा हमारा कड़ा घेरा
और होगा मुक्त कल पहला सबेरा
यह सबेरा सार्थक जिस बात से हो
काम वह अपना शुरू इस रात से हो