कौन तेरी नकेल खींच
ले जा रहा तुझे किधर?
तुझे
तेरा चारा नहीं मिला।
बिक चुकी है तेरी खाल
तेरी हड्डियों की क़ीमत लग चुकी है।
नाली की गन्ध सूँघने न दें
खींची हुई नकेलें।
जमा हुआ लहू तुम सूँघना चाहो।
काश ! कभी तुम यह जान सको
तुम्हारा अपना ही माँस
कितना स्वादिष्ट है।
मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल