चला दमन का चक्र, छेड़ सोता सिंह जगाओ
धरती के भूखे कृषकों तक, राजनीति पहुँचाओ
लाठी-गोली-जेल-सेल से, जनता नहीं डरेगी
छोटी चिनगारी सारे, जंगल को क्षार करेगी
जमींदार-सेठों के टुकड़खोर, तुम्हारी क्षय हो
धरती के बेटों की जय, नक्सलबाड़ी की जय हो
रचनाकाल : 08.08.1967