Last modified on 28 सितम्बर 2011, at 03:56

नजर- 1 / राजेन्द्र जोशी

एक यह नजर
एक वह नजर
नजर तो फिर नजर.....!
चीरती नजरें
झुकती नजरें
धोखा खाती नजरें
धोखा देती नजरें!

नजरें चलती हैं
नजरे बोलती हैं
नजरें लड़ती हैं
नजरें उलझती हैं
नजरें पलटती हैं
तभी, इंसान पर
आयद होता है
तोता चश्मी का इल्जाम
बस इतनी चाह
अपने ही लिए
कोई हो नजर
पुख्ता शनास......!