♦ रचनाकार: अज्ञात
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मनिहार कृष्ण
नटवर नै भेस बनाया
ब्रज चूड़ी बेचने आया
कोई चूड़ी पहन लो छोरियो ऽ ऽ
सखियों ने सुना राधा से कहा
राधा ने झट बुलवाया ,
ब्रज चूड़ी बेचने आया।
राधा पहरन लगी
स्याम पहराने लगे
उसने कसकर हाथ दबाया,
ब्रज चूड़ी बेचने आया ।
राधा जाण गई
कोई छलिया है ये
चलिए ने छल दिखलाया ,
ब्रज चूड़ी बेचने आया ।
नटवर नै भेस बनाया……