हर दिन के नतीजे
विश्वास को जलते
संशय को पलते
जनाजा सार्थकता का
संवेदनाओं की सिसकी
सूना दरबार
कसकते शब्द-सिमटता अखबार
घिसटते विचार-दो और दो चार
पाला बदलने के समाचार
इसके बाद उपसंहार
फिर
नए दिन का इंतजार।
हर दिन के नतीजे
विश्वास को जलते
संशय को पलते
जनाजा सार्थकता का
संवेदनाओं की सिसकी
सूना दरबार
कसकते शब्द-सिमटता अखबार
घिसटते विचार-दो और दो चार
पाला बदलने के समाचार
इसके बाद उपसंहार
फिर
नए दिन का इंतजार।