Last modified on 23 मई 2021, at 18:33

नदी, वापस आओ / जेन्नी शबनम

19.
मीन झाँकती,
पारदर्शी लिबास
नदी की कोख।
20.
खूब निभाती
वर्षा से बहनापा
साथ नहाती।
21.
बूझो तो कौन?
खाती, ओढ़ती, जल
नदी और क्या!
22.
कोई न सुना
बिलखती थी नदी
पानी के बिना।
23.
नदी के तीरे
देवताओं का घर
अमृत भर।
24.
नदी बहना!
साथ लेके चल ना
घूमने जग।
25.
बाढ़ क्यों लाती?
विकराल बनके
काहे डराती?
26.
चंदा-सूरज
नदी में नहाकर
काम पर जाते।
27.
मिट जाएगा
तुम बिन जीवन,
न जाना नदी!
28.
दूर न जाओ
नदी, वापस आओ
मत गुस्साओ।
29.
डूबा जो कोई
निरपराध नदी
फूटके रोई।
30.
हो गईं मैली
बेसहारा नदियाँ
कैसे नहाए।
31.
बहती नैया
गीत गाए खेवैया
शांत दरिया।
32.
पानी दौड़ता
तटबन्ध तोड़के,
क्रोधित नदी।
33.
तुझमें डूबे
सोहनी महिवाल
प्यार का अंत।
34.
नदियाँ सूखी,
बदरा बरस जा
उनको भिगा।
35.
अपनी पीर
सिर्फ सागर से क्यों
मुझे भी कह।
36.
मीन मरती
पी ज़हरीला पानी
नदियाँ रोतीं।