मैं नदी का नाम नहीं जानना चाहता
रास्ते में कोई नदी मिल जाए
और उसका नाम
आपको ज्ञात हो
तो आनन्द रह ही जाता है कितना !
डूबकी लगाने का
पाप-पुण्य परिचित व तय
पार करें, न करें
उसकी गहराई के इतिहास का भय !
किसी नदी का नाम
कुछ न बोले
केवल आप देखें
वहाँ वह कहाँ-कहाँ से
कैसे-कैसे गुज़रती है
जिस समय
वह मिलती है किसी सागर के साम्य में
उस समय भी
किसी शिखर से जुड़ी !
कहीं बीच में
आप नदी में
या वह अनाम अज्ञात नदी आप में
आपको भरती हुई पूरी
बनाती अथाह अजस्र
वहाँ से आगे
अक्षत
भरे नए
आप मिलें
बिछुड़ें
हर से
उसी नदी की तरह ।