बादलों की छाँव में
एक पहाडी गाँव में
बांधे घुंघरू पाँव में
बहती है एक नदी
धीमे से उतरती है
मद्धम सी चलती है
हंसती है संवरती है
मचलती है एक नदी
जंगलो के पहरे में
धूप एक सुनहरे में
हवा के पालने में
झूमती है एक नदी
मछली के पाँव में
मांझी की नाव में
नन्हें-नन्हें पांव से
ठुमकती है एक नदी
धूप कभी छाँव में
पेड़ों की ठाँव में
हाँ वहीँ मेरे गाँव में
बहती है एक नदी
पिया की तलाश में
मिलन की आस में
सिमटी एक धार में
भटकती है एक नदी ।