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नदी न रोती / सुधा गुप्ता

नदिया रानी
यत्र-तत्र-सर्वत्र
चूनर धानी।
2
नदी -कछार
मँडराती चिड़ियाँ
खोजती कीड़े।
3
नदी किनारे
टिटिहरी न जाने
किसे पुकारे  !
4
नदी किनारे
सरकण्डों में छिपी
जल-कुक्कुटी।
5
नदी की छाती-
फटी, लोग कहते-
बाढ़ आ गई।
6
नदी निकली
झूमती-बलखाती
घुमक्कड़ी पे।
7
नदी, पोखर
झिल्ली झनकारती
अँधेरी रात।
8
तट पे जलीं
धू-धूकर आशाएँ
नदी उदास।

9
नदी की धार
बहते जाते पत्ते
बड़े लाचार।
10
नदी न रोती
सूखे हैं सारे आँसू
रेत में सोती।
11
नाव न माझी
एकाकिनी तापसी
बहती गंगा।
12
बहती धारा
आगे बढ़ती जाए
छूटा किनारा।
13
ताप बढ़ेगा
हिम नद गलेंगे
बाढ़ बनेंगे।
14
रस की झारी
है नाना रूपधारी
जल मायावी।
15
न, कहीं न था
जल का ओर-छोर
श्वेत-चादर्।