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नदी प्यास देती है / ओम व्यास

अंधेरी रात ज़िंदगी में उजास देती है
दोस्त बनकर मुझे खुद नदी प्यास देती है

उसको सोचा जब कभी अकेले में
अजनबी रास्तों में नई तलाश देती है।

उसको देखा तो फागुन लौट आया
मन में होलोई ढेरों पलाश देती है।

उसका जाना बसन्त लगता है
खबर आने की नई सुवास देती है।

उसका हंसना फूलों का झरना
मुझको ऊर्जा प्रकाश देती है।

खत्म होना ही है इस कहानी को
बात सोचो भी तो अजब त्रास देती है।

रंग आस्था का इतना गहरा है
मन में उमंग और विश्वास देती है।