हे बहती नदिया! तुम बोलो
क्या है नाम तुम्हार?
कहो कहाँ से आती हो तुम
क्या है पता तुम्हारा?
कौन पिता है कौन है माता
कितनी बहनें, कितनी भाई?
ये लहरें भी प्यारी नींदियाँ
साथ तुम्हारे ही आई?
बहती ही जाती हो नदिया
थोड़ी देर ठहर जाओ
जो मैं पूछ रहा हूँ तुमसे
अपनी बात बता जाओ
नदी बोल पड़ती है, कहती
मैं गंगा हूँ जमुना हूँ
ब्रह्मपुत्र, झेलम, सतलज हूँ
कावेरी हूँ, कृष्णा हूँ
जो तुम रख दो नाम वही मैं
बन जाती हूँ बेटे!
सबको सुख पहुँचाती चलती
हर्षाती हूँ बेटे
बोला बालक-सुख न जाना
बाढ़ कभी मत लाना नदिया
करती हो उपकार सभी का
सागर में मिल जाना नदिया।