Last modified on 10 अगस्त 2015, at 15:09

नदी है यह / रामकृष्‍ण पांडेय

देखो देखो
नदी है यह

कितना चौड़ा है इसका पाट
सूख गई है स्रोत्स्विनी
रेत ही रेत है
दूर-दूर तक
पर, इसके हृदय में
कहीं बहता होगा शीतल जल
कल-कल, छल-छल

जब आएगा मौसम
प्रवहमान होगी नदी
स्रोतस्विनी
नदी है यह