भेद-भाव निज-परता की,
बातों से है अनजान।
भोली सी, प्यारी सी,
इक नन्हीं मुस्कान।
सबके मन में स्नेह जगाती,
कोमल कली सी खिल जाती।
हंसी-ख़ुशी और प्रेम है जिसके,
जीवन का वरदान।
भोली सी, प्यारी सी,
इक नन्हीं मुस्कान।
सब है अपने, नहीं पराया,
ऊँच-नीच का भेद न पाया।
इस माटी में हम जन्में है,
सब है एक समान।
भोली सी, प्यारी सी,
इक नन्हीं मुस्कान।