नन्ही चिड़िया
धूप -स्पर्श ढूँढती
फुदकती -सी
अंग -प्रत्यंग सँजो
पंख समेट
गहरी सर्द रात
काँपती रही;
प्रफुल्लित- सी हुई
सूर्य ने छुआ
जब स्नेह - आँच से,
पंख झटक
किरणों से खेलती
नयी दिशा में
उड़ गयी फुर्र से
चहचहाते हुए !
नन्ही चिड़िया
धूप -स्पर्श ढूँढती
फुदकती -सी
अंग -प्रत्यंग सँजो
पंख समेट
गहरी सर्द रात
काँपती रही;
प्रफुल्लित- सी हुई
सूर्य ने छुआ
जब स्नेह - आँच से,
पंख झटक
किरणों से खेलती
नयी दिशा में
उड़ गयी फुर्र से
चहचहाते हुए !