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नन्ही चिड़िया / श्रीप्रसाद

नन्ही चिड़िया बिलकुल नन्ही
इतनी नन्ही, हाथ न आए
तितली जैसी फुद-फुद फुदके
कोयल जैसी गाना गाए

नन्हे-नन्हे पर फैलाए
फिर पतंग-सी उड़कर जाए
जैसे इसको हवा नचाए

कैसे उड़ती, कैसे गाती
कोई भी यह जान न पाए

यह नन्ही चिड़िया है भोली
बोला करती मीठी बोली
उड़ती है बनकर हमजोली

रोज कहाँ से उड़कर आए
रोज कहाँ यह उड़कर जाए

थोड़ा-सा है इसका खाना
सात, आठ, नौ या दस दाना
बस, फिर खाकर गाना गाना

इधर-उधर फिर उड़-उड़कर के
नन्ही चिड़िया मौज मनाए

कभी नहीं यह चिंता करती
नहीं अन्न से यह घर भरती
और नहीं यह भूखों मरती

जैसे रुनझुन-रुनझुन नाचे
जैसे केवल गीत सुनाए
नन्ही चिड़िया बिलकुल नन्ही
इतनी नन्ही हाथ न आए।