Last modified on 3 मार्च 2010, at 13:04

नन्हे सपने / नीलेश रघुवंशी

एक दिन
तुमने कुछ कहा था?
याद नहीं
उसी को याद करता मेरा अकेलापन
ख़ामोश रात जागती आँखें
नन्हें जीवित सपने
एक दिन के।