आओ-आओ नब्ज़ टटोलें,
हम सब मिलकर बादल की।
दिल की सुनें धड़कने जाँचें,
कितना जल वे लाये हैं।
या फिर ताम झाम दिखलाकर,
उड़ जाने को आये हैं।
कुछ बादल तो साफ़ दिख रहे,
धोती पहने मलमल की।
कुछ हैं रुई के फाहे जैसे,
कुछ हैं क्षीर समुन्दर से।
किन्हीं-किन्हीं के रूप दिख रहे,
हाथी घोड़े बन्दर के।
इक बादल में मुझे दिख रही,
मोटी मौसी बुलबुल की।
ऐसा मन्त्र चलो हम फूंकें,
बादल बरसें झरर-झरर,
ताल तलैया नदी भरे तो,
मेंढक बोलें टरर-टरर।
फ़ूट पड़ें झरने धरती से,
ध्वनि सुन पड़े कलकल की।
लारे लप्पा करते बादल,
बरसें धड़म धड़ाके से।
नहीं मरे अब कोई बुढ़िया,
इस धरती पर फांके से।
आओ नज़र रखें बदली पर,
ख़बर रखें हम पल-पल की।