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नमन / साधना जोशी

काँटे भी हुआ करते है,
गुलाब के फूलों में,
किन्तु गुलाब की सुन्दरता,
कम नहीं होती, उन काँटों से ।

देव भूमि के इस जल प्रलय में,
कुछ ने काँटों की भूमिका भी निभाई है,
किन्तु सलामत रहे वे देव भूमि
और
देष के सपूत जो अपनी जान की,
बाजी लगाकर दूसरों को,
जीवन दान देते रहे हैं ।
अपने घावों को भूलकर,
दूसरों को सहारा दे रहे हैं ।

अपने घर की परवाह न करके,
दूसरों के घरों को बचा रहे हैं ।
पेट की आग को दबा कर अपनी,
औरों की भूख को मिटा रहे हैं ।

प्रकोप ही प्रकृति का,
इस की मार सबको पड़ी है ।
बुराई को याद करने वालों,
अच्छाई के फरमान को मत भूलो,
याद रखना उनके बलिदान को,
जो सबको बचाकर खुद मिट,
गये दूसरों के लिए ।
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