हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नमो नरंजन मात भवानी, सदा रंगीला तेरा भवन
तेरे दरस को रिसी मुनि आए, दूर-दूर तै करके गवन
कोए समरधा लावै समाधी, कोए समरधा साधै पवन
तेरे दरस को...
ग्यान बूझ की तैं मेरी जवाला, तेरै बरोबर और न कोए
सुख संपत की तैं मेरी देवै, तेरै बरोबर और ना कोए
सेवत राम तरा जस गावै, हाथ जोड़ कै कर गवन
तेरे दरस को...