नयनों रे चितचोर बतावौ।
तुमहीं रहत भवन रखवारे, बांके बीर कहावौ ।
तुम्हरे बीच गयो मन मेरो, चाहै सौंहैं खावौ।
तुम्हरे बीच गयो मन मेरो, चाहै सौंहैं खावौ।
अब क्यों रोवत हौ दई मारे, कं तौ थाह लगावौ॥
घर के भेदी बैठि द्वार पै, दिन में घर लुटवावौ॥
'नारायन' मोहिं वस्तु न चहिए, लेवनहार दिखावौ॥