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नया भारत बनाएँ / जयप्रकाश कर्दम

आओ, नया भारत बनाएं
ऐसा भारत जहां बेकारी हो
भुखमरी हो, लाचारी हो
ऊंच-नीच और छुआछात की बीमारी हो
जहां भ्रष्टाचार का साम्राज्य हो
ईमानदारी और नैतिकता त्याज्य हो
इंसानियत की निर्मम हत्या
हैवानियत का नंगा नाच हो
जहां सच बोलना जुर्म हो
न्याय की कोताही हो
अभिव्यक्ति की आजादी न हो
सोचने की मनाही हो
जहां बुद्धिजीवी सत्ता के गुलाम हों
जड़ता को जायज ठहराया जाए
राजनीति के लिए अपराधी होना
अनिवार्य शर्त हो
बलात्कारियों, घोटालेबाजों को मंत्री बनाया जाए
जहां साम्प्रदायिक उन्माद हो
जातीय श्रेष्ठता का प्रमाद हो
प्रगति और विकास की बातें न हों
अराजकता और अनुशासनहीनता को
राष्ट्रीय पर्व मनाया जाए
जहां ईश्वर पर सवाल करना निषिद्ध हो
पाखण्ड प्रचार सरकारी कानून बनाया जाए
जहां धर्म का धंधा
सबसे बड़ा व्यापार हो
आदर्शों में गांधी, हिटलरी व्यवहार हो
जहां प्रेम करना वर्जित हो
सौहार्द्र का गला घोटा जाए

अंतरजातीय विवाह करने वालों को
फांसी परा लटकाया जाए
अस्पृश्यता और विभेद
हमारे जीवन का मूल मंत्र हो
संवेदनहीनता को राष्ट्रीय चरित्र बनाया जाए
आओ, नया भारत बनाने के लिए
कुछ नए काम करें
रोटी छीनकर देश भर में त्रिशूल बांटें
उद्योग धंधे बंद कर मंदिरों से पाटें
विज्ञान की पढायी बंद कर
तंत्र-मंत्र विद्या के स्कूल खोलें
नमस्कार कहना बंद कर ‘जय श्रीराम’ बोलें
जो नहीं बोलें
उन्हें अपना दुश्मन मानें
उनको उत्पीड़ित करें, जिंदा जलाएं
आओ, प्रण करें
हम देश को एक नहीं होने देंगे
साम्प्रदायिकता और जाति-पाति की
खाइयों को नहीं पटने देंगे
अल्पसंख्यकों को दबाकर रखेंगे
दलितों को मनुष्य नहीं मानेंगे
बर्बरता हमारा धर्म होगा
लोकतंत्र को जिंदा नहीं रहने देंगे
हिंदुत्व हमारी संस्कृति और राष्ट्रीयता है
हिंदुत्व से आगे कोई बात नहीं करेंगे
हिंदुत्व के सिपहसालारो, आओ,
संविधान को जलाकर
मनु का विधान अपनाएं
नया भारत बनाएं।