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नया रूप / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 
उसने अपने को
सौंपा
चंद सिक्कों के लिए
कुछ रूपयों की खातिर
बाजार में
लपककर व्यापारियों ने खरीद लिया
हांका ओर ले गए
हर दिन नया व्यापारी
नई जगह
कुछ रूपयों के लिए
वह बिक गई
आज संभ्रांत कॉलोनी में
उसका डुप्लेक्स फ्लैट है
सुबह कुत्ते को सैर कराती है
‘फिगर’ मेनटेन रहे
जिम जाती है जूस पीती है
शाम होते ही
शिफ्ट हो जाती है
अपने व्यापार में
अब वह टीम लीडर है
उसके पास 100 से अधिक
लड़कियां हैं...
उसके संपर्क में
सत्ता व विपक्ष के नेता हैं
बड़े अधिकारी व कूटनीतिज्ञ
टेंडर किसे मिलेगा; टिकट किसे !
इसकी भूमिका में रहती है वह
सबको पहचानती है
सब हैं कमीने
लेकिन क्या करें?
हमाम में हैं सब नंगे
क्या फर्क पड़ता है
उसने पहन लिया है काला चश्मा
और तुमने
उसने पूछा
नेता ने जवाब दिया-
हां ! मैंने भी
पहन लिया काला चश्मा
मैंने कुछ नहीं देखा
मैं कुछ देखता भी नहीं
मैं क्यों देखूं ?
सरकार चल रही है
रामभरोसे !
या
तुम्हारे...