आओ
न सही मेंह-सी
रेत-सी ही सही
आँधी-सी घेर लो
तपता हुआ आकाश
भरने दो रोम-रोम
अपने से
झरने दो
अपने को
नयी होती हुई।
(1991)
आओ
न सही मेंह-सी
रेत-सी ही सही
आँधी-सी घेर लो
तपता हुआ आकाश
भरने दो रोम-रोम
अपने से
झरने दो
अपने को
नयी होती हुई।
(1991)