नये तरीके से क्यों न हम,
सब बच्चे नव वर्ष मनायें।
रामू श्यामू तुमने जोड़े,
हैं गुल्लक में कितने पैसे।
पाकिट ख़र्च बचाकर रखना,
मोहन सोहन किसी तरह से।
नहीं वी डि ओ गेम खरीदें,
पापा से यह साफ़ बताना।
लीला शीला इसी तरह से,
पैसे होंगे तुम्हें बचाना।
फिर लेकर फल फूल कहीं से,
वृद्ध, निर्बलों को दे आयें।
नये तरीके से क्यों न हम,
सब बच्चे नव वर्ष मनायें।
कापी क़लम किताबें क्यों न,
हम सब मिलकर करें इकट्ठी।
खड़ी प्रतीक्षा में रहती है,
शहर गाँव की झोपड़ पट्टी।
नन्हें मुन्ने छोटे बच्चे,
देख किताबें पुलकित होंगे।
चेहरों पर बूढ़ी आंखों के,
सुंदर अपने लहक उठेंगे।
दलित गरीबों के घर जाकर,
क्यों न उनको गले लगायें।
नये तरीके से क्यों न हम,
सब बच्चे नव वर्ष मनायें।