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नलिन विलोचन शर्मा / दिनेश्वर प्रसाद

बहुत बार, बहुत बार आपको याद किया ।
बहुत बार आँखों की सड़क से गुज़रे आप ।
झील-सी आँखों के सूर्यदीप्त ऐनकों पर
सिगरेट का धुआँ
चिन्तन के उठ रहे बादल-सा बिम्बित था ।
लगा नहीं, आप सिर्फ़ याद थे ।

(30 नवम्बर 1964)