शुभ, सौम्य, शीतल
भविष्य की परतें
खुलें एक-एक कर|
कूट कूट कर भर लावें
सौहाद्र का मेघ
बरसावें तुम पर|
आशाओं, सफ़लताओं का
जीवट, जीवन दीपक
जलता रहे सदा
साहस भर दे तुममें इतना
क्षीण हों सभी दुर्बलतायें
अनन्त, उत्साहपूर्ण, उत्सवमय हो
सदैव प्रत्येक जीवन-पल तुम्हारा|
रचनाकाल : 17.12.1988