शान्त सौम्य सुखकर संवत्सर
नित्य नवीन काम्य औ रुचिकर
भद्र विचार शील वाहक बन
शुभ प्रकाश से भर अंतर्मन।
सर्वजगत के मंगल कारण
सबके जीवन का दुख हर
मरण जरण का गहन तमस हर
वरद हस्त तव, मस्तक पर धर।
प्रभु सबको ऐसा दे जीवन
जिसमें सबका एक रहे मन,
अनथक पदध्वनि गुंजित, हो
कंटक व्याधि रहित जीवन पथ।