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नव स्वर देने को / सरस्वती माथुर

आओ, इस नववर्ष पर
खोलें वातायन परिचय के
और निस्तरंग जीवन में
हवा के बिखरे पन्नों को समेट कर
खोजें पाँव लक्षित पथ के
और नव-स्वर देने को
कुछ इधर चलें कुछ उधर चलें
फिर मिल जाएँ
एकजुट हो शक्ति के उद्गम पर