नहीं चाहती दुःख मिटाना, नहीं चाहती मैं आराम।
सुख से सहन कर सकूँ, मुख से जपती रहूँ तुम्हारा नाम॥
तुम्हें न भूलूँ कभी, सदा सब में देखूँ लीला अभिराम।
जीवन-मरण, कुशल-अकुशल में देखूँ तुमको भरे तमाम॥
नहीं चाहती दुःख मिटाना, नहीं चाहती मैं आराम।
सुख से सहन कर सकूँ, मुख से जपती रहूँ तुम्हारा नाम॥
तुम्हें न भूलूँ कभी, सदा सब में देखूँ लीला अभिराम।
जीवन-मरण, कुशल-अकुशल में देखूँ तुमको भरे तमाम॥