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नहीं तो / नरेश चंद्रकर

कोई छिप गया है
कवि की लिखी पंक्तियों में!

प्याज की डली होगी-

बिटिया का स्कूल-होमवर्क
बादाम का पेड़
वेतन-पर्ची
डॉक्टर की फीस की पुर्जा
कवि की नींद
कुछ-न-कुछ तो होगा ही

नहीं तो
बारह पंक्तियों की इस कविता से
ठन्न की आवाज़ ज़रूर गूँजती!!