यदि मेरे देश में
गाँधी और नेहरू जैसों ने
जन्म नहीं लिया होता
तो --
हैवानियत के शिकंजे
हमारे हाथों-पाँवों में
कसे होते !
यहाँ
वहाँ
सभी जगह
मौत के सौदागर बसे होते !
हम
जो आज
तेज़ी से बढ़ते जाते हैं,
नये, मज़बूत और सुन्दर भारत को
फ़ौलादी दृढ़ता से
गढ़ते जाते हैं,
नयी रोशनी की किरणें
फैलाते
अज्ञान की अँधेरियों से
लड़ते जाते हैं;
घुटनों-घुटनों
फ़िरक़ापरस्ती की दलदल में
धँसे होते,
हम सब
बदरंग हो गये होते,
दिलों से
बेहद तंग हो गये होते !
हमारे एकता के स्वप्न सारे
टूटते,
पशुबल समर्थक
समृद्धि सारी
लूटते !