अचानक द्वार खुलेगा
और मैं भीतर प्रवेश कर जाऊँगा
स्वर्गीय हो चुके सारे रिश्तेदार
स्वागत करेंगे वहाँ मेरा
'कैसे हो, बेटा' के जवाब में
नहीं बता पाऊँगा माँ-बाबूजी को
यहाँ तक पहुँचने की
अपनी दुर्गम यात्रा के बारे में
नहीं बता पाऊँगा उन्हें कि
ईश्वर के बारे में नीत्शे ने क्या कहा था
या यह कि वहाँ मर्त्य-लोक में चारों ओर
ख़ून की नदियाँ बह रही हैं।