(राग आसावरी-ताल धुमाली)
नाचत गौर प्रेम अधीर।
भूलि सुधि हरिनाम टेरत, बहत नैननि नीर॥
पान करि सुचि प्रेम-अमृत, मा पुलकित अंग।
भगत गन नाचत सकल मिलि बजत ताल मृदंग॥
परम पावन नामकी धुनि, गूँजती आकास।
विपुल अघ संसार के पल माहिं होत विनास॥
(राग आसावरी-ताल धुमाली)
नाचत गौर प्रेम अधीर।
भूलि सुधि हरिनाम टेरत, बहत नैननि नीर॥
पान करि सुचि प्रेम-अमृत, मा पुलकित अंग।
भगत गन नाचत सकल मिलि बजत ताल मृदंग॥
परम पावन नामकी धुनि, गूँजती आकास।
विपुल अघ संसार के पल माहिं होत विनास॥