दे दे मुझको आस पास के अपने जैसे किस्से दे
जिन्हें जोड़ कर एक हो सकूँ ऐसे नाजुक हिस्से दे
अपने अपने गम और खुशियाँ ढोने वाले इस युग में
इससे लेकर कुछ गम दे दे थोड़ी खुशियाँ उससे दे
नदियाँ नाले खंदक खाई पार सभी को करना है
पुल हम इस पर बना ही लेंगे तू बस केवल रस्से दे
टुकड़ा टुकड़ा चाँद उगा है धूप खिली है किश्तों में
हमको एक पूरी की पूरी दुनिया बना अलग से दे