मंच पर
नाटक का
हर
एक किरदार
वाक़ई
दोहरी ज़िन्दगी
जीता आया है
परदा उठाने से
परदा गिराने तक लेकर
सदा एक-सी
रहती है इन
किरदारों की मुस्कान
झूठ और छलावे से भरी...।
मंच पर
नाटक का
हर
एक किरदार
वाक़ई
दोहरी ज़िन्दगी
जीता आया है
परदा उठाने से
परदा गिराने तक लेकर
सदा एक-सी
रहती है इन
किरदारों की मुस्कान
झूठ और छलावे से भरी...।