नानी की आई है चिट्ठी ।
घर भर को आशीष लिखा है ।
और लिखी हैं बातें मिट्ठीं ।
पूछा है मुझसे- ’रे पप्पू !
नानी को क्या भूल गया तू ?
चिट्ठी तेरी एक न आई
नानी से क्या रूठ गया तू ?’
अब जल्दी से चिट्ठी लिखना
शुरू छुट्टियाँ हों, तब मिलना ।
नानी की आई है चिट्ठी ।
घर भर को आशीष लिखा है ।
और लिखी हैं बातें मिट्ठीं ।
पूछा है मुझसे- ’रे पप्पू !
नानी को क्या भूल गया तू ?
चिट्ठी तेरी एक न आई
नानी से क्या रूठ गया तू ?’
अब जल्दी से चिट्ठी लिखना
शुरू छुट्टियाँ हों, तब मिलना ।