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नाम के एक फूल / जीत नराइन

हम तोहे पानि पे छोड़ देइला
बहके लौट जा इंद्रियन के दररा अलंग
इ तोहे तुरले रहा दिवाना हाथ से
जैसे तु फुलैले और जेमें से तु गढुवैते-गरहेवात गिर गैले।

अब तु पानि पे उतरान बहे है
भि जबकि उ सब से गहिरा गहिरैया में जाइके घुसे है।
मस्त उतराई बहे एक होला प्यार अब,
बक गर रोकावट जबरै से

तब तु एके अपन ढकना पे थामे चहले,
अब तु गहरैयाँ खालि बहिरे से छुवे है सारे के।
बह, बह ना, बैह जा बेबिस्वासी

इ अब ना भेइगा एगो बीज फूल के
कि खालि एक फूल खात अपन अँगना पे।