ज़्यादा समय नहीं लगा उसे
नायक से खलनायक में तब्दील होने में
कुछ अरसा पहले
उसे लादा जा रहा था
तमगों, असंख्य विभूतियों से ।
ठीक उन्हीं दिनों वह रूपान्तरित हो रहा था
भीतर ही भीतर खलनायक में ।
उतार रहा था नायक की अपनी पुरानी खाल
कोई नहीं देख पा रहा था
उसका चमड़ी उतारना ।
एक और खलनायक तैयार हो रहा है ।
इस वक़्त
नायक और खलनायक कें बीच की
विभाजन रेखा कमज़ोर पड़ती जा रही है ।