बिजुरी चमके मन मोर नचे,
बरसे बदरा घनघोर पिया।
झनके पग पायल शोर करे,
मन बेकल है बस में न जिया।।
परदेश पिया कब आबत हैं?
मन आश लिये पथ हेरत है।
मन बाग उदास लगे अब तो ,
बदरा मन आकर घेरत है।
दिन रात पुकार पिया जियरा,
अब लागत साँस नहीं चलते।
तन भींग गया मन भींग गया,
मन प्यार नहीं दिल में पलते।
अब नैनन बाट निहार थके,
मन मोहन जाय कहाँ बिसरे।
सुध खोबत है मन रोबत है,
जग लागत है हमसे बिफरे।।