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नाव चली मेरी / शकुंतला सिरोठिया

कागज की नाव चली मेरी,
पानी में नाव चली मेरी,
बलखाती नाव चली मेरी!

डगमग-डगमग हिलती-डुलती,
लहर-लहर से मिलती-जुलती,
इठलाती नाव चली मेरी!

गुड्डे के संग बनकर दुल्हन,
गुड़िया ससुराल चली बन ठन,
शरमाती नाव चली मेरी।

रुकूँगी कहीं भी न डर के,
जाऊँगी पार समंदर के,
ये गाती नाव चली मेरी।