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निंदा / ॠतुप्रिया

थूं
आपरै जीवण नै
इत्तौ राख
साफ सुथरौ

कै कोई थारी
निंदा करै
सौ-सौ

तद सामलौ
कतई नीं करै
भरोसौ।