निन्दिया से जागी बहार
ऐसा मौसम देखा पहली बार
कोयल कूके कूके गाये मल्हार
मैं हूँ अभी कमसिन कमसिन
जानूं न कुछ इस बिन इस बिन
रातें जवानी की बाली उमर के दिन
कब क्या हो नहीं ऐतबार
ऐसा मौसम देखा पहली बार ...
कैसी ये रुत आयी सुन के मैं शरमायी
कानों में कह दे क्या
बाली ये पुरवाई
पहने फूलों ने किरणों के हार
ऐसा मौसम देखा पहली बार ...