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निगाहों में वो हैरानी नहीं है / राजेश रेड्डी

निगाहों में वो हैरानी नहीं है
नए बच्चों में नादानी नहीं है

ये कैसा दौर है कातिल के दिल में
ज़रा सी भी पशेमानी नहीं है

नज़र के सामने है ऐसी दुनिया
जो दिल की जानी पहचानी नहीं है

जो दिखता है वो मिट जाता है इक दिन
नहीं दिखता वो, जो फ़ानी नहीं है

खु़दा अब ले ले मुझसे मेरी दुनिया
मेरे बस की ये वीरानी नहीं है

कोई तो बात है मेरे सुख़न मे
ये दुनिया यूँ ही दीवानी नहीं है