Last modified on 18 जून 2017, at 22:07

निगोड़ी दुनिया / आनंद कुमार द्विवेदी

आजकल सड़कों का सारा ट्रेफिक गायब है
होगा भी तो हमें नहीं मिलता
किसी के कुछ कहने से पहले ही मुस्करा पड़ता हूँ
कभी बहस नहीं करता किसी से
बल्कि मेरी बेफ़िक्री पर अब औरों को गुस्सा आता है
दुनिया का हर काम मेरी रूचि का हो गया है
हर इन्सान प्यारा लगता है
हर वक़्त प्यारा लगता है
हर जगह प्यारी लगती है
ये वही आसमान है न
जो आग का समंदर लगता था
अचानक तारों की जगह इतने सारे फूल ...
इतनी खुशबू ...

मुझे कुछ नहीं हुआ है
कुछ हो गया है तो बस इस दुनिया को
निगोड़ी एकदम से बदल गयी है !