अपनी ओर
जाने वाला कोई भी रास्ता
नहीं है
पहले से निर्धारित
इसीलिये होती है बड़ी मुस्किल
अनुसरण करने वालों को
बहुत कठिन है
हर समय
खुद के ही अहंकार द्वारा लगाये गए
दिशा और दूरी सूचक
सूचना पटों से बच पाना
हर पल अनिश्चित,
निपट एकांतिक सफर में
बड़े काम की होती है दीवानगी खुद से मिलने की
और जिद खुद को मिटाने की
जब पाने को कुछ न हो ... इच्छा भी नहीं
तब शुरू होती है अपनी पहली झलक
अगर कुछ पाना शेष है
तो फिर वहीँ ठहरिये
चमकते हुए राजमार्ग पर
क्योंकि निजता की पगडंडी
नहीं देती कुछ भी
सिवाय मुक्ति के !